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भारतदुर्दशा पहला अंक

India's plight
first issue

invocation
Jai Satjug-Thapan-Karan, Nasan Mlechha-Achar.
Sharpening the hard edge, Krishna Kalki Avatar.
Location - Beethi
(sings a yogi)
(Lavani)
Roahu sab milikai aahu bharat brother.
Ha ha! Do not see the plight of India. Pole.
First of all, God bless you with wealth.
First of all, he is a civilized creator. 

भारतदुर्दशा पहला अंक मंगलाचरण जय सतजुग-थापन-करन, नासन म्लेच्छ-आचार। कठिन धार तरवार कर, कृष्ण कल्कि अवतार ।। स्थान – बीथी (एक योगी गाता है) (लावनी) रोअहू सब मिलिकै आवहु भारत भाई। हा हा! भारतदुर्दशा न देखी जाई ।। धु्रव ।। सबके पहिले जेहि ईश्वर धन बल दीनो। सबके पहिले जेहि सभ्य विधाता कीनो ।। सबके पहिले जो रूप रंग रस भीनो। सबके पहिले विद्याफल जिन गहि लीनो ।। अब सबके पीछे सोई परत लखाई। हा हा! भारतदुर्दशा न देखी जाई ।। जहँ भए शाक्य हरिचंदरु नहुष ययाती। जहँ राम युधिष्ठिर बासुदेव सर्याती ।। जहँ भीम करन अर्जुन की छटा दिखाती। तहँ रही मूढ़ता कलह अविद्या राती ।। अब जहँ देखहु दुःखहिं दुःख दिखाई। हा हा! भारतदुर्दशा न देखी जाई ।। लरि बैदिक जैन डुबाई पुस्तक सारी। करि कलह बुलाई जवनसैन पुनि भारी ।। तिन नासी बुधि बल विद्या धन बहु बारी। छाई अब आलस कुमति कलह अंधियारी ।। भए अंध पंगु सेब दीन हीन बिलखाई। हा हा! भारतदुर्दशा न देखी जाई ।। अँगरेजराज सुख साज सजे सब भारी। पै धन बिदेश चलि जात इहै अति ख़्वारी ।। ताहू पै महँगी काल रोग बिस्तारी। दिन दिन दूने दुःख ईस देत हा हा री ।। सबके ऊपर टिक्कस की आफत आई। हा हा! भारतदुर्दशा न देखी जाई ।। (पटीत्तोलन)

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